Monday, March 7, 2011

रेडियो को कहाँ-कहाँ बचाएँ ?


All India Radio के FM Gold channel से जुड़े कुछ मुद्दों पर से पिछले कुछ अर्से में जिस तरह से पर्दा उठा, उससे आकाशवाणी के अन्दर पनप रहे घोटालों, उत्पीड़न, प्रताड़ना और तानाशाही रवय्ये जैसी कई कड़वी हकीक़तें सामने आयीं। कुछ casual employees के हिम्मत करने से जागरूकता का एक नया अध्याय लिखा गया और आकाशवाणी के ही नहीं, देश के दीगर radio stations पर काम करने वाले casual employees में भी एक हिम्मत पैदा हुई कि ज़ुल्म और अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना ही इससे छुटकारा पाने का एकमात्र तरीका है। दूरस्थ शिक्षा की देश की सबसे बड़ी इकाई, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय का, एकमात्र शैक्षिक चैनल ज्ञानवाणी इसका ताज़ा उदाहरण है।
ज्ञानवाणी के दिल्ली चैनल में casual employees के Exploitation और Harassment आदि की पोल पहली बार सार्वजानिक तौर पर तब खुली जब 4-1-11 को हिंदी दैनिक समाचारपत्र नवभारत टाइम्स में छपी एक खबर के माध्यम से ज्ञानवाणी दिल्ली, EMPC, और IGNOU के तानाशाही रवैय्ये के राज़ सारी दुनिया के सामने उजागर हुए। दूसरी बार इस गले-सड़े सिस्टम की दुर्गन्ध internet magazine http://www.mediakhabar.com/ के ज़रिए अभी चंद रोज़ पहले 4-3-11 को सारे मीडिया जगत के साथ-साथ आम आदमी तक भी पहुँची। पता चला कि अफ़सरशाही का भूत कैसे अफ़सरों के सर चढ़ कर बोलता है और इन भ्रष्ट अफ़सरों को बचाने में उनके आला अधिकारी भी कैसे संविधान की धज्जियाँ उड़ाने में कोई कसर बाक़ी नहीं छोड़ते।
इस लेख को आम जनता के मिले comments इस बात का सुबूत हैं कि नासूर की तरह सड़ांध मारते इस अंधे सिस्टम को इलाज की कितनी सख्त ज़रूरत है। आप भी जानना चाहते हैं कि ज्ञानवाणी दिल्ली की शान में क्या छपा तो नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें।
http://www.mediakhabar.com/index.php/media-article/media/1682-gyanvani-nayeem-akhtar-.html

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