मित्रो,
हमारे इस चंद रोज़ पुराने अपना रेडियो बचाओ अभियान के दौरान अखबारों में बहुत कुछ छपा है और बहुत कुछ छपने को है । ढोल के अन्दर की पोल उजागर हुई है। एफ एम गोल्ड प्रस्तोताओं को सुन कर रीझने वाले श्रोता सकते में आये हैं । पत्रकार पसोपेश में पड़े हैं ये देखकर कि आवाज़ की पुरकशिश दुनिया से जुड़े इन कलाकारों के गले घोंटने पर आकाशवाणी के चंद अधिकारी किस क़दर आमादा हैं . विडम्बना ये है की ये अधिकारी उन्हीं के गले दबाने की कोशिश में हैं जिनके मुंह से निकला हुआ एक-एक शब्द इनके घर परिवार को चलाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। जबकि ये बेचारे बगैर तनख्वाह पाए साल-साल भर गुज़ार देते हैं और इस बारे में मुंह से आवाज़ तक नहीं निकालते । तिस पर तुर्रा ये कि अपमान और बदसलूकी भी इन्ही के हिस्से में आते हैं । जिस आकाशवाणी में नेपाली को विदेशी भाषा बताकर भारत के संविधान का खुलेआम उल्लंघन होता हो । सूचना के अधिकार के तहत मांगी जाने वाली सूचनाओं से खिलवाड़ होता हो । उसके दंभी अधिकारियों से आप और क्या उम्मीद रख सकते हैं । बहरहाल ,हमारे इस दर्द को अखबारों में पढ़कर बहुत से लोग आहत हुए हैं । हमारे साथ हुए हैं । जिनमें हमारे अनगिनत श्रोता भी शामिल हैं । ऐसे ही एक श्रोता और सामाजिक कार्यकर्ता श्री नगेन्द्र मिश्रा ने दैनिक जागरण में एफ एम गोल्ड के प्रस्तोताओं की बदहाली की खबर पढ़ी तो इस मोर्चे में शामिल होने की और हमारा हर संभव साथ देने की पेशकश की । इस सम्बन्ध में नगेन्द्र जी का सभी एफ एम गोल्ड presenters के नाम सन्देश हम प्रकाशित कर रहे हैं --
आवाज़ की दुनिया के हरदिलअज़ीज़ साथियो ,
हालांकि आपको हर दिल अज़ीज़ लिखते वक़्त थोडा सा संशय मन में आ रहा है क्योंकि आप शायद आकाशवाणी के उन कुछेक अधिकारियों के अज़ीज़ नहीं हैं जो आपकी बदौलत अपने पेट पाल रहे हैं । घर चला रहे हैं । और अकड़ के साथ खुद को आकाशवाणी का अधिकारी और आपका माईबाप बताते फिर रहे हैं। २० मई ,२०१० के दैनिक जागरण अखबार में आकाशवाणी में चल रही अनियमितताओं की और आपके साथ हो रहे दुर्व्यवहार की ख़बर पढ़ी तो सन्न रह गया । मन आहत हुआ ये जानकर कि आकाशवाणी दिल्ली केंद्र के निदेशक और एफ एम गोल्ड की programme executive जैसे अधिकारी इतने खुदगर्ज़ और एहसान फरामोश हो गए हैं कि ये उन कलाकारों का भी सम्मान नहीं करते जिनकी बदौलत इनका खुद का वजूद है । दैनिक जागरण को मैं इतनी बेबाकी के साथ ये ख़बर छापने के लिए धन्यवाद देना चाहूँगा । सच पूछिए तो ख़बर पढ़कर ये लगा कि आप जैसों से सहानुभूति रखने वाले संवेदनशील पत्रकार आज भी मौजूद हैं।लेकिन अफ़सोस कि भारत के राष्ट्रपति के द्वारा जारी पत्रकों में गड़बड़ी करने वाले आकाशवाणी दिल्ली के केंद्र निदेशक और एफ एम गोल्ड की programme executive ख़बर छपने के बाद भी अपने पदों पर बने इठला रहे हैं .क्या इन्होंने अपनी शर्मोहया और नैतिकता बेच खाई है ?अगर ये आगे भी अपने अपने पदों पर बने रहे तो इसे अराजकता की हद ही समझिये । आकाशवाणी की महानिदेशक तो इनकी शिकायतें सुनकर सोई हुई हैं मगर आशा है कि मंत्री महोदया इस ओर दृष्टिपात करेंगी । आप सब से अनुरोध है कि अन्याय के विरुद्ध ये लडाई जारी रखिये । मैं और मेरे जैसे आपके कितने ही साथी इस लडाई में हर तरह से आपके साथ हैं । मैं एफ एम गोल्ड के सभी श्रोताओं से , आकाशवाणी के सभी संवेदनशील कर्मचारियों से ,पत्रकारों से और देश के सभी न्यायप्रिय नागरिकों से निवेदन करना चाहूँगा कि आपके सहयोग के लिए लामबंद हों ।
आपका साथी
नगेन्द्र मिश्रा
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